महाराणा प्रताप : The Invincible Warrior
" चितवे चित चितोड, चित चिंता चिता जले।
मेवाडो जग मोड, पुण्य घन प्रतापसीं।। "
अर्थात :-
चित्तौड़ का चित्त चिंता की चिता में जल रहा था, पर जगत के सिरताज राणा का पुण्य उसके लिए बादल बनकर बरसा ।
- दुरसा जी आढा कृत विरुद छहतरी से उद्धरत ।
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