विश्व विख्यात सिरोही की तलवार ||

विश्व_विख्यात_सिरोही_की_तलवार :- इस खासियत की वजह से मिली प्रसिधी:-
सिरोही तलवार की यह खासियत है की आज के मशीनी युग में भी लोहे को गर्म करके सिर्फ हथौड़े की सहायता से तैयार की जाती है |पुराने ज़मानेमें रोठी व जहरीले पर्दाथों के मिश्रण से यह तलवार तैयार होती थी|इसके बाद तलवार बनाने का मेटेरियल मालवा (मध्य प्रदेश ) से आने लगा |मालवा का लोहा गोल बाँट की तरह होता था , जिसे भट्टी में तपाकर हथौड़े से कूट कर पट्टीनुमा बनाया जाता था |इस पट्टी को बार बार भट्टी में तपाकर तलवार का रूप दिया जाता था |अब यह मेटेरियल अहमदाबाद से आता है , जिसे नंबर के आधार पर ख़रीदा जाता है |शिल्पकारप्यारेलाल मालवीय बताते हैं की सिरोही की तलवार27 से 31 इंचतक लम्बाई में बनाई जाती है |सिरोही की तलवार बनाने में एक किलोग्राम लोहे को काम में लिया जाता है |लोहे को भट्टी में तपाकर तलवार को अंतिम रूप देने तक यह वजन घटकर900 ग्रामरह जाता है|यह तलवार वजन में काफी हल्की होती है , लेकिन काम में लेने पर न तोमुडती है और न टूटती है |जितनी अधिक काम में लेंगे उतनी ही धारदार होगी
दिल्ली के म्यूजियम में बढ़ा रही है शोभा:-
सिरोही की प्रसिद्ध तलवार दिल्ली के म्यूजियम में हमारी शोभा बढ़ा रही है |देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु जब 18 अक्टूबर 1958 को सिरोही आए , तब शिल्पकार प्यारेलाल के पिता टेकाजी ने उन्हें सिरोही की तलवार के साथ उनके हाथों से बनाए धनुष,बाण ,खड़क व पेशकस भेट किए थे |पंडित नेहरु लोह धातु शिल्पकला को देखकर बेहद कुश हुए |आज भी यह पाँचों चीजें दिल्ली के म्यूजियम में टेकाजी पुत्र केसाजी सिरोही के नाम से हमारी शोभा बढ़ा रही है|शिल्पकार प्यारेलाल बताते है की उनके पूर्वजों को इस कला की बदौलत राजा महाराजाओ ने खूब सम्मान दिया |प्यारेलाल को भी वर्ष 2009में जोधपुर में आयोजित इंटेक सिल्वर जुबली अवार्ड सेरेमनी में जोधपुर के नरेश गजसिंह व तत्कालीन महापौर रामेश्वरलाल दाधीच ने सम्मानित किया था।

धन्यवाद🚩

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