आमेर के राजा वीर पजबन देव जी कच्छवाह||हिंदुओ के सर की ढाल || राजपूत इतिहास ||

आमेर के राजा
पजबन देव जी कच्छवाह

जानहड़ देव जी के बाद पजबन जी कच्छवाह आमेर के राजा हुए । आप पृथ्वीराज चौहान जी के सामन्त थे, आपकी वीरता और पराक्रम से महाराज पृथ्वीराज चौहान इतना प्रसन्न हुए, की अपनी बहन ( काका कान्ह देव की पुत्री ) का विवाह पजबन देव जी से कर दिया ।। कहा जाता है कि पृथ्वीराज चौहान जी के 180 सामन्त थे, जिनमे सबसे बड़ा कद पजबन देव जी कच्छवाह का ही था । पृथ्वीराज ने अपनी सेना की 52 टुकड़ियां बनाई थी, तथा प्रत्येक टुकड़ी का सेनापति अपने श्रेष्ठम योद्धा को नियुक्त किया था । उनमें एक पजबन देव जी कच्छवाह भी थे । और आपका कद यहां भी सबसे बड़ा था ।। पृथ्वीराज रासो के अनुसार पजबन देव जी एक अद्वितीय वीर थे । बुंदेलखंड ओर चंदेल राजा को हराकर उन्होंने महोबा छीन लिया था । यह वही लड़ाई है, जिसमे पजबन देव जी ने आल्हा ओर ऊदल ओर उसके 3 भाई मलखान, आदि को भी परास्त कर दिया , ओर महोबा पर अधिकार कर लिया ।। आल्हा ऊदल भारत के असाधारण वीरो में एक थे, जिन्हें परास्त करना पृथ्वीराज चौहान के लिए भी दूर की कौड़ी बना हुआ था। लेकिन उन्हें परास्त करने की जिम्मेदारी कच्छवाह नरेश पजबन देव जी कच्छवाह ने ली, ओर उन्हें परास्त करके ही लौटे ।। मूहम्मद गौरी के जब शुरूवातीं आक्रमण हो रहे थे, तो उस आक्रमण को रौकने की जिम्मेदारी भी पृथ्वीराज चौहान ने पजबन देव जी कच्छवाह को ही दी थी, ओर आपने मूहम्मद गौरी को खैबर के दर्रो में बहुत बार धूल चटाई थी। ( वर्तमान - पेशावर - पाकिस्तान )
कर्नल टॉड ने भी पजबन देव जी कच्छवाह की तारीफ में कोई कौताही नही बरती थी । इस अंग्रेज इतिहासकार के अनुसार पजबन देव जी कच्छवाह अपने काल के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे । संयोगिता हरण के समय भी उन्होंने बड़ी वीरता दिखाई थी, ओर पृथ्वीराज चौहान की रक्षा की ।। कहा जाता है जब जयचंद्र के सैनिकों ने पृथ्वीराज चौहान को को चारो ओर से घेर लिया था, तो आमेर नरेश उस संग्राम में कूद पड़े, ओर दोनो हाथों में तलवार लेकर लड़े ।

जब वह युद्धरत थे, तो उनके पांव नरमुंडों से टकरा रहे थे, ओर नीचे खून का तालाब बन गया, उइके बाद पृथ्वीराज तो वहां से बच निकले, लेकिन 400 शत्रु एक ही साथ पजबन देव जी पर टूट पड़े, ओर वहीं आमेर नरेश पंचतत्व में विलीन हो गए ।। पृथ्वीराज ने पजबन देव जी की मृत्यु पर खुले दिल से अपने दरबार मे यह स्वीकार किया कि आज मेरे कंधे टूट गए, मैं अनाथ हो गया , पृथ्वीराज जी ने कहा की आज हिंदुओ के सिर की ढाल टूट गयी है ।

पजबन देव जी के स्वर्गलोक जाने के बाद ही मूहम्मद गौरी भारत मे सफल हो पाया था ।

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