शराबखाने सिर्फ और सिर्फ हारे हुए लोगों की मंज़िल हैं। विजेताओं का वहां कोई काम नही।

मैं सच कहता हूं, शराबखाने सिर्फ और सिर्फ हारे हुए लोगों की मंज़िल हैं। विजेताओं का वहां कोई काम नही। कभी देखा है किसी को कड़वी शराब के घूंट में जीत का स्वाद चखते हुए ? या किसी खुश व्यक्ति को अकेले बैठकर शराब पीते हुए ?
शराब की एक बोतल में इतना नशा होता है की अकेला इंसान उसे खत्म नही कर सकता, और शायद यही कारण भी है की शराब कोई अकेले नही पीता। अब तुम कहोगे की "तुम पागल हो, हमने कई बार अकेले बैठ कर बोतलें खत्म की है।" तुम्हारी बात सही है दोस्त, तुम गलत नही, मग़र  तुम्हे यह ऐहसास जरूर होगा कि यह सच है ।
 कमरे की बत्तियां बुझा कर तुम जब बोतल की सील अपनी कोहनी से तोड़ते हो, तो तुम अकेले नही रहते। तुम्हारे साथ 2 और लोग भी हैं। एक शराब, और दूसरा तुम्हारा दर्द। शराब अपने आप में एक अच्छी साथी है और तुम्हारा दुख तो लम्बे समय से किसी वफादार कुत्ते की माफ़िक़ तुम्हारे साथ ही चलता आया है।
मैं पहले भी कहता आया हूँ, आगे भी कहूंगा, शराबखाने हारे हुए लोगों की मंज़िल हैं, और इस बात में कोई दो राय नही है।
शराबखाने सिर्फ और सिर्फ हारे हुए लोगों की मंज़िल हैं। विजेताओं का वहां कोई काम नही। 

-------------------धन्यवाद---------------------
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